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Preeti Bhardwaj

Romance

3  

Preeti Bhardwaj

Romance

महफ़िल मेरी तन्हाई की!

महफ़िल मेरी तन्हाई की!

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कई बातें बरसती हैं, मैं जब तन्हा रहूँ तो...
कोई महफ़िल-सी सजती है, मैं जब तन्हा रहूँ तो...

वो दरिया के किनारे रोज़ मिलना...
देखकर तुम्हें मेरा फूलों सा खिलना...
बातों ही बातों में, फिर दिन का ढलना...
वहीं फिर लौट जाती हूँ...
मैं जब तन्हा रहूँ तो...

गज़ब-सी बात थी आँखों में तेरी...
जो रुक सी जाती थीं साँसे भी मेरी...
बितायी कितनी गर्मी की दोपहरी...
वो दोपहरें जलाती हैं...
मैं जब तन्हा रहूँ तो...

न बातें ख़त्म होती थी हमारी...
न जाने कैसी थी उनमें खुमारी...
बड़ी प्यारी थी नज़दीकी तुम्हारी...                                   तुम्हारे साथ होती हूँ मैं जब तन्हा रहूँ तो...


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