महाकुंभ मेला: प्रयागराज की अद्भुत महिमा
महाकुंभ मेला: प्रयागराज की अद्भुत महिमा
त्रिवेणी का संगम, यह पावन धाम,
जहां हर पल गूंजे हरि का नाम।
गंगा, यमुना, सरस्वती का मेल,
सजता यहां महाकुंभ का खेल।
साधु-संतों का होता है जमाव,
ज्ञान-ध्यान और भक्ति का प्रवाह।
अखाड़ों का शोर, शंखों की तान,
हर दिशा में बस धर्म का गान।
दीपों की माला से सजी है धार,
स्नान से मिटते जन्मों के भार।
त्रिलोक भी झुकता संगम के पास,
प्रयागराज का अनुपम विश्वास।
भोर का उजाला, मंत्रों का गान,
हर हृदय में बसते श्रीराम।
कल्पवासियों का अनोखा जीवन,
धर्म और तप का अद्भुत सावन।
आरती की ज्योत से जगमग संसार,
हर दिल में बसता ईश्वर का प्यार।
धर्म, कर्म और मुक्ति का द्वार,
महाकुंभ का मेला, आस्था का त्यौहार।
आओ, करें इस पावन भूमि का वंदन,
हर कण में बसता है जीवन का दर्शन।
महाकुंभ मेला, अद्भुत त्यौहार,
सांस्कृतिक धरोहर, आध्यात्मिक संसार।
