गुप्त नवरात्रि: देवी का आह्वान
गुप्त नवरात्रि: देवी का आह्वान
शैलपुत्री से आरंभ हुआ यह पर्व महान,
संकट हरें, करें भक्तों का कल्याण।
ब्रह्मचारिणी ज्ञान की जोत जलाए,
हर मन में भक्ति की गंगा बहाए।
चंद्रघंटा संग शक्ति का प्रकाश,
राक्षस दल पर चलता है वज्रभास।
कूष्मांडा मां सृजन की आधार,
जगत में भरती प्रेम अपार।
स्कंदमाता का ममत्व है गहरा,
जो भी पुकारे, वो ना रहे अकेला।
कात्यायनी से पाप मिट जाते,
सत्य के पथिक विजय को पाते।
कालरात्रि हैं काल की देवी,
भक्तों के लिए सौम्य, स्नेही।
महागौरी से जीवन निखरे,
सभी दुःख हर लें पल भर में।
सिद्धिदात्री वरदान लुटाए,
भक्तों के हर कष्ट मिटाए।
गुप्त नवरात्रि का है यह शुभकाल,
मां का कर लो प्रेम से स्वागत भव्य और भाल।
जय माता दी!
