मेरी कलम और मां
मेरी कलम और मां
मां पर कविताएं लिख रहीं हूं
इसका श्रेय भी मां को जाता है,
मैंने अपनी पहली कविता
एक कापी के पीछे लिख डाष्टबिन में रखा था,
पन्ने जो नहीं थे बाकी!
मां की नज़र जब कुछ दिन बाद पड़ी
उन्होंने उसे अखबार भेजा,
जो बच्चों के विशेष पृष्ठ पर प्रकाशित हुआ,
मानो उन्होंने मुझे दोबारा जन्म दिया,
मां मेरी पुस्तकों को लेकर उत्साहित रहती
स्टोरी मिरर में मुझे कितने रेटिंग मिले
हमेशा पूछतीं, मां अखबार और पुस्तकें
भी पढ़ने में मार्गदर्शन करती
मां का भी संपूर्ण योगदान है मेरी उन्नति है ।