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मेरी ख्वाहिश तिरंगे की

मेरी ख्वाहिश तिरंगे की

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हर मस्तक हिमालय जैसा हो ,

हर गोद मे माँ वो गंगा हो,

हर शख्श यहाँ अब भगत सिंह हो,

और हाथ में बस ये तिरंगा हो।


कदम कदम पर बोली बदले ,

कदम कदम पर भाषा.

कदम कदम एक नई तरंग है,

कदम कदम अभिलाषा।


दिल्ली से हल्दीघाटी तक,

नभ से लेकर इस माटी तक,

बदल रहा सबकुछ यहां,

दक्षिण से लेकर घाटी तक।


लेकिन ये ख़्वाहिश है मेरी,

चाहे नाना जीवन जी ले,

चाहे खानपान अतरंगा हो..

हर शख्श यहाँ अब भगत सिंह हो,

और हाथ में बस ये तिरंगा हो।


देश पे मर मिटने वालो ने,

जाने क्या क्या सोचा था,

वापस सोने की चिड़िया बने,

ऐसा केमिकल लोचा था।


सोचा ये था कि झंडा अपना,

लहर लहर लहराएगा,

बच्चा बच्चा हर घर का,

भारत माँ के गुण गायेगा।


ऐसा न होता देख,

मन तो बेठ ही जाएगा,

लेकिन ये ख्वाहिश है मेरी ,

आजादी के दीवाने सा,

दिल जज्बे से रंगा हो,

हर शख्श यहाँ अब भगत सिंह हो,

और हाथ में बस ये तिरंगा हो।


सब कुछ पता है तुमको लेकिन,

कहते हो अनजान है,

बच्चे बेच रहे तिरंगा,

खून से सींचे जवान है।


किसानों ने आंसू रोके,

दिल इनका चट्टान है,

सब सह लेंगे देश की खातिर,

अपना देश महान है।


लेकिन ये ख्वाहिश है मेरी ,

हम खुशहाली लाये मिलकर,

न कोई भूखा न ही नंगा हो...

हर शख्श यहाँ अब भगत सिंह हो,

और हाथ में बस ये तिरंगा हो।


तीन रंग से निखरे हम है,

बाँट दिए तो बिखरे हम है,

धरती हरी, केसरी आसमान,

घर घर बसी गीता ओर कुरान।


महाराणा से भगत सिंह तक,

है धरती हीरो की खान,

गांव में बसता है जीवन,

ये मिट्टी है उनका भगवान।


कदम हमारे रुके नही है,

पहुँच गए अब मंगलयान,

मजदूर से लेकर महलों तक से,

सब कहते है सीना तान।


हमको गर्व है इसी देश पर,

इस पर है हमको अभिमान,

लेकिन ये ख्वाहिश है मेरी

वेद विज्ञान का संगम हो जाए,

जीवन यहाँ स्वर्ग से चंगा हो,

हर शख्श यहाँ अब भगत सिंह हो,

और हाथ में बस ये तिरंगा हो।


हर मस्तक हिमालय जैसा हो,

हर गोद मे माँ वो गंगा हो,

हर शख्श यहाँ अब भगत सिंह हो,

और हाथ में बस ये तिरंगा हो।


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