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NIKITA PANCHAL

Romance

5.0  

NIKITA PANCHAL

Romance

मेरी ज़िंदगी

मेरी ज़िंदगी

1 min
245


किससे शिकायत करूँ मैं उसकी

कोई नहीं हैं अब मुझे सुननेवाला


ऐ जिंदगी तूने ग़म तो बहुत दिए हैं मुझे

फिर भी कोई शिकायत नहीं अब तुझसे


एक ग़म तूने मुझे ऐसा दिया है शौक से

जिलूंगी अब तो में उसी ग़म के सहारे


उनसे एकबार मुलाक़ात क्या हुई हमारी 

मिलने के बाद बन गई जिंदगी जन्नत मेरी


तू मेरे जिस्म को तो मुझसे छीन सकती है

मेरी रूह अब तेरे नहीं उसके हाथ में है


वादा किया है मैंने उनसे हर जन्म साथ

देने का

तू भी अब नहीं दूर कर सकती उनसे मुझे


तू मुझे थोड़ा वक्त उधार दे दे मेरी चाहत

के ख़ातिर

उन्हें थोड़ा प्यार करने का आज जी बहुत

करता है


पता है वो नहीं रोकेंगे मुझे कहीं जाने से अब

क्योंकि उनके दिल में जगह नहीं मेरे लिए अब


फ़िर भी ये निकस उनके लिए बेकरार है

वो आयेंगे उसी उम्मीद से अब ज़िंदा है



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