याद
याद
शाम
की
बारिश
में
भींगना
और
भींगे
हुए
तन
बदन
तथा
मन
से
उसके
याद
को
भिंगाना
फिर
भिंगाकर
पूरी
तरह
से
गीला
कर
देना
एक
अकल्पनीय
अहसास
का
भान
कराता
है
यह
याद
एक
यादगार
याद
बन
जाता
है
न
भुलने
वाला
याद
बन
जाता
है
बिन
स्पर्श
और
बिन
छुवन
के
जीवंत
मिलन
का
अहसास
करा
देता
हैं
ये
लम्हा
एक
चुभन
पैदा
करा
जाता
है।