बात ही बात में
बात ही बात में
उसने जब कहा कि उसे प्यार हो गया है
तो मानो दिल की धड़कनें थम सी गयीं थीं
मैं एकदम चुप सा हो गया पर
उस समय वो मेरे सामने ही खड़ीं थी
मैं पूछा नाम उस शख्स का जब तो
शरारत भरी निगाह में मुस्कुराने लगीं
धड़कनों का धक-धक बढ़ता रहा
जब वो नाम मेरा बताने लगीं
क्या कहूं और कैसे कहूं कि खूब
सुकून मिला अपना ही नाम सुनकर
कैसे बताऊं डर था कि कहीं टूट ना जाए
जो ख्वाब रखें थे मैंने उसके लिए बुनकर
वह तो शरारती है हमेशा ही
मुझे नए बहानों से परेशान करतीं हैं
पर क्या कहूं कभी-कभी उसकी
ऐसी बातों से मेरी जान निकलती है
नादान तो है पर अपनी नादानी में ही
बहुत कुछ कहती है यूँ ही मजाक में
बस यूं समझो मजाक ऐसा है कि
जान निकाल लेतीं हैं बात ही बात में।