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SANJAY MARANDI(KUNAL)

Inspirational

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SANJAY MARANDI(KUNAL)

Inspirational

मेरी जीवंत सोच

मेरी जीवंत सोच

2 mins
46



मेरी सोच अब भी जीवंत है

कर रहा प्रयास अब भी बुलंद है

सजीव रूप में जन्म लिया हूं

यह जीवन सुख दुख का मिश्रण है


रोज अपनी जिंदगी बिताता हूं

एक खुशहाल जिंदगी में जीता हूं

हर एक दौड़ में ना जीतता हूं

मिली हार से बहुत कुछ सीखता हूं


मेरी सोच अब भी जीवंत है

सामान्य पर अद्भुत यह श्वास है

खुदा का हम पर यह मेर है

बिन इसके शरीर मिट्टी का ढेर है


रोज अपनी जिंदगी बिताता हूं

कभी खुद कटता तो कभी काटता हूं

कभी असहज महसूस करता हूं

जिंदगी से अपनी खुश रहता हूं


समय बीतता जा रहा है

यह फिर लौट कर ना आएगा

इंसान रूप में जन्म लिया हूं

क्या यह रूप फिर लौट आएगा?


अपने कर्मों से जाने जाओगे

एक दिन मिट्टी में मिल जाओगे

ईश्वरप्रद श्वास की अहमियत है

अच्छे कर्म का अच्छा नियति है


रूप की निखार सौंदर्यपूर्ण है

रब का हमपर यह वरदान है

देता तो वह हमें अच्छी बुद्धि है

क्यों दिखाते हम मंदबुद्धि है?


सुख-दुख की परिसीमा में

घिरी रहती अपनी यह जिंदगी

कभी चिंतन कभी चिंता में

अक्सर बीत जाती अपनी जिंदगी


मेरी सोच अब भी जीवंत है

कर रहा प्रयास अब भी बुलंद है

आंधी सी समस्या में बेखौफ चलता हूं

अंततः चीर कर विजय पाता हूं


बिता देते हंसकर खुशियों का पल

हंसकर गम काटने में भी लगता बल

इसके समावेश से जीवन होता प्रबल

किसी को ना पता जीवन का कल


समस्याओं से अपने पार पाना है

विकट में भी हमें ना हार मानना है

हमारे सृष्टि का मूल्य समझना है

सभी अतुल्य यह हमें जानना है।



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