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SANJAY MARANDI(KUNAL)

Inspirational

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SANJAY MARANDI(KUNAL)

Inspirational

मेरी जीवंत सोच

मेरी जीवंत सोच

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मेरी सोच अब भी जीवंत है

कर रहा प्रयास अब भी बुलंद है

सजीव रूप में जन्म लिया हूं

यह जीवन सुख दुख का मिश्रण है


रोज अपनी जिंदगी बिताता हूं

एक खुशहाल जिंदगी में जीता हूं

हर एक दौड़ में ना जीतता हूं

मिली हार से बहुत कुछ सीखता हूं


मेरी सोच अब भी जीवंत है

सामान्य पर अद्भुत यह श्वास है

खुदा का हम पर यह मेर है

बिन इसके शरीर मिट्टी का ढेर है


रोज अपनी जिंदगी बिताता हूं

कभी खुद कटता तो कभी काटता हूं

कभी असहज महसूस करता हूं

जिंदगी से अपनी खुश रहता हूं


समय बीतता जा रहा है

यह फिर लौट कर ना आएगा

इंसान रूप में जन्म लिया हूं

क्या यह रूप फिर लौट आएगा?


अपने कर्मों से जाने जाओगे

एक दिन मिट्टी में मिल जाओगे

ईश्वरप्रद श्वास की अहमियत है

अच्छे कर्म का अच्छा नियति है


रूप की निखार सौंदर्यपूर्ण है

रब का हमपर यह वरदान है

देता तो वह हमें अच्छी बुद्धि है

क्यों दिखाते हम मंदबुद्धि है?


सुख-दुख की परिसीमा में

घिरी रहती अपनी यह जिंदगी

कभी चिंतन कभी चिंता में

अक्सर बीत जाती अपनी जिंदगी


मेरी सोच अब भी जीवंत है

कर रहा प्रयास अब भी बुलंद है

आंधी सी समस्या में बेखौफ चलता हूं

अंततः चीर कर विजय पाता हूं


बिता देते हंसकर खुशियों का पल

हंसकर गम काटने में भी लगता बल

इसके समावेश से जीवन होता प्रबल

किसी को ना पता जीवन का कल


समस्याओं से अपने पार पाना है

विकट में भी हमें ना हार मानना है

हमारे सृष्टि का मूल्य समझना है

सभी अतुल्य यह हमें जानना है।



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