ऋतुराज बसंत
ऋतुराज बसंत
भारत देश अपना देश,
यह ऋतुओं का धनी देश,
इन सब ऋतु में एक ऋतु ,
वह है बसंत का ऋतु ,
प्रकृति का नई श्रृंगार लिए,
नई जोश उमंग लिए,
यह दस्तक को देता ,
हममें एक नई ऊर्जा का,
संचार वह करता,
मन में आलस्य है पर,
कार्य करने की तत्परता भी है,
नजारा बदला-बदला,
धरा भी अब बदले है,
लाल तो कहीं पीले,
अब खुशी से इस ऋतु को जी ले,
समय कम ख्वाहिशें ज्यादा है,
उम्मीदें कम इच्छाएं ज्यादा है,
इसी में तो जीने का मजा है,
मत मानो यह एक सजा है,
इस ऋतु के आने से,
ख्वाब में परिवर्तन लाओ ,
उस ख्वाब को आगे बढ़ाओ,
अपने में बदलाव को लाओ,
समय बदलता है,
घड़ी बदलता है ,
खुद बदलने से,
जमाने का तस्वीर बदलता है,
अच्छाई को आत्मसात कर,
कर्मठता दिखाकर ,
बसंत से प्रेरणा लेकर,
खुद को बदलना है,
अब अच्छी राह पकड़ खुद को चलना है,
इस ऋतु से प्रेरणा ले ,
यह खुद में फल वंत है,
यह तो जयवंत है ,
अपनी मुरझाये उम्मीद को ,
अब सींच मारना है ,
हुंकार भरना है ,
कुछ कर गुजरने का जज्बा दिखाना है,
इस बसंत से हमें प्रेरणा को लेना है ,
सब जानते हैं यह ऋतुराज है ,
इसमें ऋतुओं का ताज है,
अपने पास तो सिर्फ आज है,
क्या पता कल क्या काज है?
सरवर ढका है कमलों से ,
हमें भी अब अपने इच्छाओं में पकना है,
कल्पना भरी दुनिया को अपना टकना है,
बसंत ऋतु से प्रेरणा ले ,
आगे को बढ़ना है।।
