मेरे शिव
मेरे शिव


प्रारब्ध से जो तू पाएगा वो साथ न तेरे आएगा
जो प्राप्त किया तूने यहां सब यहीं रह जाएगा
शून्य से लेके अंत तक सब शिव में है विलीन यहाँ
संग तेरे होगा वही जो शिवभक्ती से तूँ पाएगा
नभ उसका है थल उसका है, वायु, अग्नि, जल उसका है
समय वही है काल वही है जीवन का हर पल उसका है
कर्म किये जा अपना तू शिव का नाम भी जपना तूँ
वश में तेरे यही है बन्दे करम है तेरा फ़ल उसका है
तन है उसका भस्म से रमता मन है उसका तप में लीन
मरुभूमि होगी धारा यहां जो हो जाये ये शिव विहीन
आदि अनादि अनन्त अनामय वो है कर्ता इस सृष्टी का
पा ले शिव को सब खो कर पर न कर अपना मन मलिन
मानव तन ये बिन भक्ति के मिट्टी है बेजान है
खो जा शिव में हो जा शिवमय शिवभक्ती में ही प्राण है
गंगा उसके जटा में रहती चाँद है उसके माथे सजता
भक्ति धन जो शिव का पाया दीन नहीं धनवान है
जन्म नही
ं न मरण है उसका अंत नहीं आरम्भ न जिसका
रुद्र है वो अविचल अविनाशी कैलाश पे बैठा बन सन्यासी
सर्प बनें है शोभा उसके वाघ चर्म है तन पे सजता
महाकाल है नाम उसीका तीनों लोक में डंका बजता
ब्रह्मदेव ने रचा ये सृष्टि विष्णु ने है रचाया माया
मृत्यु का जो हुआ आगमन शिव ने ख़ुद को काल बनाया
विश्व के सारे कण में वो है जीवों के धड़कन में वो है
ढूंढ़ न शिव को यहाँ वहाँ हम सबके ही मन में वो है
देव हैं उसके दानव उसके जड़ चेतन और मानव उसके
ढूंढ ले तू ब्रह्मांड में जाके सब पा ले तू शिव को पाके
अन्तरयुद्ध है ये तन तेरा काल का जिसमे है बसेरा
अंधकार से निकल जा प्राणी महाकाल ही है सवेरा
साकार वही आकार वही है सूर्य भी वो अंधकार वही है
पापी मानव डरते उस से वीरों की ललकार वही है
ब्रह्मांड के सारे ज्ञानी ध्यानी शिव में खोए रहते है
नकार उसे तूं या अपना ले सुन ले ये संसार वही है