हरि शंकर गोयल

Abstract

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हरि शंकर गोयल

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मेरे शहर की बात

मेरे शहर की बात

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मेरे शहर की कोई एक बात हो तो बताऊं 

इतने सारे किस्से हैं, किस किस को सुनाऊं 

ये शहरों में शहर है गुलाबी नगर कहलाता है 

प्रेम भाईचारे का यहां बहुत गहरा नाता है 


हवामहल, जंतर-मंतर, सिटी पैलेस खास हैं 

"नगर नियोजन " के लिए यह बहुत विख्यात है 

छोटी चौपड़, बड़ी चौपड़ यहां की विशेषता हैं 

अजमेरी गेट से लेकर घाट गेट की प्रबलता है 


"राजमंदिर" सिनेमाघर ने खास जगह बनाई है

"एल एम बी" की मिठाइयों ने खूब धूम मचाई है

"लाल जी सांड" का रास्ता कपडों का बाजार है

"खजाने वालों के रास्ते" में घेवर फीणी की बहार है


"अल्बर्ट हॉल" से राजपूती शान झलकती है 

"मसाला चौक" की चाट में लोगों की जान बसती है 

ऐलीवेटेड रोड और मैट्रो ने जिंदगी बदल दी है 


मोती डूंगरी के गणेश जी ने सबको खुशियां दी हैं 

"गोविंद देव जी" के दर्शन करके दिन निकलता है

"खोले के हनुमान" जी पर "गोठ" के लिए शहर उमड़ता है 

"चोखी ढाणी" को कौन है जो नहीं जानता है 


राजस्थानी संस्कृति का रंग रूप यहां झलकता है 

"विधान सभा" भवन ने इसे नई पहचान दिलाई है

एशिया की सबसे बड़ी कॉलोनी "मानसरोवर" में बसाई है 

कभी शांत सा रहने वाला शहर अब "द॔गा शहर" बन गया


न जाने किस की नजर लगी "अपराधियों का घर" बन गया 

नित नये षड्यंत्र, धूर्तता, मक्कारी , दोगलापन , छल है 

हर रोज होता यहां विश्वास, वफा और रिश्तों का कत्ल है 

स्वार्थपरता हावी हुई और मानवता कहीं मर गई 

"मैट्रो कल्चर" अब सबके दिल दिमाग में भर गई।


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