मेरे पापा
मेरे पापा
मेरे पापा हैँ सबसे खास व्यक्ति
मेरे जीवन मे,
मैं करता बहुत प्यार उनसे,
और वो भी मुझसे,
करते हैँ सब जरूरते पूरी हमारी,
रखते ख्याल हमारा हर पल,
उन्होंने मुझे चलना सिखाया,
दिया उन्होंने ज्ञान,
हु नहीं मे कुछ भी उनके बिना,
है वे मेरे पालनहार।
बचपन मे एक बार जब मे गिर गया था,
और आई थी मुझे बहुत चोट,
तब मेने देखा था मेरे पिता जी के चेहरे पर चिंता,
उनके डांटने के पीछे भी था उनका प्यार,
वो चाहते थे की मे ध्यान से चलू
ताकि ना गिरूं दुबारा लापरवाही से।
बड़े होने पर जब आया मुझमे ज्ञान,
तब समझने लगा खुदको होसियार मे,
और करने लगा अपनी मनमानी,
नहीं सुनी मेरे पिता की नसीहत,
और निकलने लगा उनके उपदेशों मे खोट।
जब तक हम खुद पिता नहीं बन जाते,
हमें नहीं समझ मे आती एक पिता के मन की बात।
जब तक हम खुदको उस जगह पर रखकर नहीं देखते,
तब तक नहीं याद आती हमें हमारी गलतियां।
हमारे माता पिता ने हमें जीवन है दिया,
दी हमें शिक्षा, बनाया हमें काबिल,
हम आज इस दुनिया मे हैं,
केवल और केवल उन्हीं की बदौलत।
चाहें हम कितना भी बड़ा बन जाएं,
हम नहीं चुका सकते अपने माता पिता का क़र्ज़,
हम सदा रहेंगे उनके ऋणी ,
नहीं चुका सकते उनके कुर्बानियों का क़र्ज़,
जो उन्होंने हमारे परवरिश के लिए किया।
जो व्यक्ति अपने माता पिता की
इज़्ज़त नहीं कर सकता,
उसे इंसान कहलाने का कोई हक़ नहीं,
है मुर्ख वह जिसने उनका दिल दुखाया।
क्योंकि है उनके कदमो मे जन्नत,
और जो ये बात नहीं समझ पाया,
उससे बड़ा बदनसीब कोई नहीं।
