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M. A. Akhtar

Romance Inspirational Others

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M. A. Akhtar

Romance Inspirational Others

मेरे कुछ लफ्ज़

मेरे कुछ लफ्ज़

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1. मोहब्बत...

मोहब्बत दिल में ही रखी,

उसका जुनून सर चढ़ने ना दिया; 

ज़हर लबों से लगा कर रखा,

मगर उसे हलक तक उतरने ना दिया...


2. दास्तान-ए-मोहब्बत...

अगर दासतां ना होती,

मसला-ए-गम ही ना हुआ होता;

गर' मुझे बर्बाद ना होना होता,

शायद तुझसे मिला ही ना होता...


3. तेरा खयाल...

उरूज कैसा ? ज़वआल कैसा ?

तू दूर था मुझसे, तेरा मेरे साथ

होने का सवाल कैसा ?

चला तो गया था तू मुझे छोड़ कर,

अब ये तेरे ज़ेहन में वापस

लौट आने का खयाल कैसा...?


4. लहज़े और ज़रूरतें...

ज़ुबां के लहज़े कब तक मीठे रखने हैं, 

ये ज़रूरतें तय करती है जनाब...!


5. ज़हर...

क्या कहा... ज़हर लाए हों !

पहले अल्फाज़ कम थे क्या?


6. खुशियां...

जनाब खुशियां अगर दौलत से मिलती,

तो गरीब कभी ना मुस्कुराता...


7. शख्सियत...

चेहरा देख कर शक्सियत का

अंदाजा मत लगाना

मेरी जान... समंदर खामोश था,

लेकिन लहरें दौलत के साथ हस्तियां भी ले डूबी!


8. सिगरेट...

उस का छोड़ कर यूं चले जाना

ना किसी को कहर' लगता हैं;

मैंने इक सिगरेट क्या जला ली,

सारे ज़माने को ज़हर' लगता है...


9. भूल गए हो...?


मोहब्बत इतनी की थी कि

अब याद आना भूल गए हो;

क्या नफरतें इतनी है अब दिल में,

कि महफिलों में देख कर भी मुस्कुराना भूल गए हो...?


10. दाग़ आ जाता है...


सिर्फ जिस्म नहीं, रूह पर भी दाग़ आ जाता है, 

मेरी जां ! जब "दिल" में "दिमाग" आ जाता हैं...।


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