STORYMIRROR

Supriya Devkar

Abstract

3  

Supriya Devkar

Abstract

मेरे घर

मेरे घर

1 min
133

तुम बहुत ही खास हो

मेरे प्रिय घर

तुम्हारी छत्रछाया मे 

नही लगता डर

जज्बा दिखाया जिदंगी मे

अच्छा कुछ तो कर

तुम्ही ने सिखाया जीना 

उंचा रखके सर

ज्ञान देकर खूब पढाया

भगाया मन का डर

मिल जुलकर रहना सिखाया 

नारी हो या नर.


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract