STORYMIRROR

Raghav Dubey

Inspirational

4  

Raghav Dubey

Inspirational

मेरे गाँव में

मेरे गाँव में

1 min
316

शक्कर सी मीठी बोली है मेरे गाँव में

बालपने की हमजोली है मेरे गाँव में।।


आज भी पनघट पर

गोरियाँ चूड़ी खनकातीl

बैठ छाँव बरगद की 

सखियाँ बाते बतियाती।।


और गोपियों सी टोली है मेरे गाँव में l

बालपने की हमजोली है मेरे गाँव में।।


होली, ईद, दिवारी , सावन 

मिलकर के होते l

फसल प्रीत की जुम्मन अलगू 

मिलकर के बोते।।


लगता मुंशी की खोली है मेरे गाँव में l

बालपने की हमजोली है मेरे गाँव में।।


हरे भरे खेतों में है 

मस्त चले पुरबाई l

बागों में झूले पड़ते 

फूली रे अमराई।।


कू कू कोयल की बोली है मेरे गाँव में l

बालपने की हमजोली है मेरे गाँव में।। 


कच्चे धागे की राखी

पक्की प्रीत निभाये l

है दीवाली ईद अनोखी 

घर घर प्रीत जगाये।।


मानवता बोती होली है मेरे गाँव में l

बालपने की हमजोली है मेरे गाँव में।।


माँ बापू के साया में 

घर के बेटे रहते l

हर आँगन में है तुलसी 

तीरथ घर में बहते।।


घर घर बनती रंगोली है मेरे गाँव में।। 

बालपने की हमजोली है मेरे गाँव में।।


ठंडी छाया बरगद की 

शीतल जल गगरी का l

ताजा सब्जी खेतो की 

दूध गाय बकरी का।।


चटनी रोटी रसघोली है मेरे गाँव में l

बालपने की हमजोली है मेरे गाँव में।।


अब भी गलियाँ चौराहे 

स्वागत के हार लिये l

खड़े हुये हैं हाथ फिलाये 

अद्भुत प्यार लिये।।


स्वागत को तत्पर रोली है मेरे गाँव में।। 

बालपने की हमजोली है मेरे गाँव में।।


शक्कर सी मीठी बोली है मेरे गाँव में

बालपने की हमजोली है मेरे गाँव में।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational