मेरे भाई
मेरे भाई
गुड़िया के दुश्मन बचपन में,
वो मेरे ही भाई थे।
मेरी नज़र में उस वक्त वो,
दिखते बिल्कुल कसाई थे।
हो जाती जब गुस्सा उनसे,
छेड़ छेड़ कर जाते थे।
छुट्पन के हर खेल में साथ,
रहते मेरे भाई थे।
लड़ जाना और चिल्लाना,
गुर्रा के फिर आँख दिखाना
करते मेरे भाई थे।
मुझे चिढा़ कर, खुश हो जाना,
ऐसे मेरे भाई थे।
दिन रात दौड़े शादी में मेरी,
वो मेरे ही भाई थे।
फूट कर रोए विदाई में मेरी
हाँ मेरे वो भाई थे।
हर मुश्किल में खड़े जो साथ,
वो मेरे ही भाई थे।
बात ना हो पाती है जल्दी,
आज मेरे उन भाई से।
है फिर भी बंधन राखी की डोर का,
जुडा़ हुआ मेरे भाई से।