मेरे -अपने
मेरे -अपने


हँसना चाहता हूँ हँसाना चाहता हूँ,
कुछ हास्य कविता गढ़ना चाहता हूँ !
हँसी के लम्हों को इकट्ठा करके मैं,
चेहरे पे बस मुस्कान देना चाहता हूँ !!
कभी दिल चाहता प्यार ही प्यार हो,
खिलखिला कर प्यार की बहार हो !
ज़िंदगी कुछ भी नहीं इसके सिवा,
प्यार की गंगा का अविरल धार हो !!
व्यंग में अनुराग प्रेम हम करते रहें,
दूसरों को सम्मान ही हम करते रहें !
हो सुगम आनंद का क्षण हर हमेशा,
सब के दिलों में राज भी करते रहें !!
शालीनता, शिष्टाचार है अस्त्र अपना,
माधुर्यता, सम्मान, प्रेम है वस्त्र अपना !
जीतना है प्यार से ही सारे जहां को,
सब को पास लाने का है शस्त्र अपना !!