STORYMIRROR

Wajeeda Unnisa Begum

Abstract Inspirational

4.8  

Wajeeda Unnisa Begum

Abstract Inspirational

मेरा वतन ही नहीं मेरा सारा जहां है तू

मेरा वतन ही नहीं मेरा सारा जहां है तू

1 min
550


मेरा वतन ही नहीं मेरा सारा जहां है तू 

मेरी आन है तू, मेरी शान है तू 

मेरा मान है तू, और अभिमान भी तू 

मेरी जान है तू, और सम्मान भी तू 

मेरा वतन ही नहीं मेरा सारा जहां है तू 

मेरी सीने में तू मेरे हर इरादे में तू 

मेरे होने की पहचान है तू 

मेरे जीत का सरमाया है तू 

मेरा वतन ही नहीं मेरा सारा जहां है तू 


एकता की मिसाल है तू

तहवरों की शान है तू

मज़हबों का गहवाड़ा है तू 

मेरा वतन ही नहीं मेरा सारा जहां है तू 

हर वक्त आज़ाद, अबाद या शाद रहे हैं तू 

यहाँ जवाहर से भी ज़्यादा कीमती ख़ज़ाना है तू 

मेरा सब से प्यारा हिंदुस्तान है तू 

मेरा वतन ही नहीं मेरा सारा जहां है तू


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract