मेरा देश
मेरा देश
रत्नजटित सा मुकुट हिमालय भारत मां की शान है ।
विश्व गुरू भारत पर यारा, हम सबको अभिमान है ।।
गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र सी नदियां कलकल बहती हैं
विंध्य, अरावली , नीलगिरी सब व्योम से बातें करती हैं
हिन्द महासागर जिसके दोऊ पावन चरण पखार रहा
थार मरुस्थल का टीबा, आंचल इसका संवार रहा
"सुंदरबन" की महिमा न्यारी जिसमें इसकी जान है
विश्व गुरु भारत पर यारा , हम सबको अभिमान है ।।
कत्थक, कथक्कली, कुचिपुड़ी, भरतनाट्यम मन मोह रहा
घूमर, गरबा, लावनी, भांगड़ा, नौटंकी सब सोह रहा
गीत गजल दोहा छंद मुक्तक सवैया सब पर भारी है
ढोल नगाड़ा तुरही चंग पर शहनाई की सवारी है
देख देखकर इसका वैभव अमरीका भी तो परेशान है
विश्व गुरू भारत पर यारा , हम सबको अभिमान है ।