मेरा अस्तित्व
मेरा अस्तित्व
छोटा सूक्ष्म सा जीव एक
मैं हूँ पटियाला शहर का वासी
छोटा सा अंश पंजाब प्रांत का
जो नन्ही सुंदर टुकड़ी भारत की ।
भारतवर्ष से कई देश विश्व में
करोड़ों जीव हैं मेरे जैसे
जलचर, नभचर, थलचर सब मिलकर
अरबों, खरबों हो जाएँ ऐसे ।
पृथ्वी एक छोटा सा कण है
आकाशगंगा को जब देखें हम
कितनी आकाशगंगा ब्रह्मांड में
गणना के आँकड़े पड़ जाएँ कम ।
वर्षा की बूँद गिरे सागर में
वैसा ही मैं हिस्सा ब्रह्मांड का
सोचूँ मेरा क्या कोई महत्व
और मेरा अस्तित्व है क्या ।
फिर याद आए सीख बचपन की
पहले तो बूँद अकेली ही थी
बूँद बूँद से सागर बनता
सागर में मिलकर सागर हो गई ।
मैं भी तो हूँ एक आत्मा
और सभी में व्याप्त यही है
परम् आत्मा में मिल जाऊँ जब
बन जाऊँ तब परम् ब्रह्म मैं ।