मैंने कब कहा
मैंने कब कहा
माना तुमसे दूर जाने का फैसला मेरा था
मगर तुमसे प्यार नही ऐसा
मैंने कब कहा,
माना बहुत सी गलतियाँ हुई हैं मुझसे
पर तुम्हारा कोई दोष नही ऐसा मैंने कब कहा,
माना मेरा नाराज़ होना गलत था
मगर तुम्हे मनाने का हक नही ऐसा मैंने कब कहा,
माना तुम्हारी नज़र में हमारा तुमसे प्यार करना गलत था
मगर हमारे प्यार को झूठा बताने का हक है तुम्हे
ऐसा मैंने कब कहा।
माना माँगते थे मन्नतें तुम्हे पाने की,
कुबूल है हमे
लाँघी है लकीर हमने रिश्तों के दायरो की,
मगर मेरे हो जाओ तुम
तुमसे ऐसा मैंने कब कहा।।