मैंने ढूंढा तुझे गली गली
मैंने ढूंढा तुझे गली गली
मैंने ढूंढा तुझको शहर शहर, कई गली गली,कई डहर डहर
तू जो न मिली मैं सहम गया,मैं ठहर गया मैं बिखर गया।
तू ही तो थी हज़ारो में,इन भीड़ भरे बाज़ारो में,
तू ही तो थी खयालो,में मेरे अन्तःमन के गलियारों में,
तू जो न दिखी मैं टूट गया,जीने की आस भी छूट गया।
मैंने ढूंढा तुझको शहर शहर,कई गली गली,कई डहर डहर।
माँ से भी देखा न गया वो डांट पड़ी, वो बोल उठी
क्यों खोया रहता खयालो में उन्ही बेकार सी बातों में,
उनके लाख समझाने पर, मैं मान गया, मैं हार गया।
मैंने ढूंढा तुझको शहर शहर, कई गली गली, कई डहर डहर
तू जो न मिली मैं सहम गया, मैं ठहर गया, मैं बिखर गया।