मैं यहाँ नया प्रह्लाद हूँ
मैं यहाँ नया प्रह्लाद हूँ
मिटता नहीं मस्तक पर लिखा
मैं लहू सा प्रगाढ़ हूँ
अग्नि की तपन हूँ मैं
दहकता सैलाब हूँ
भक्ति भवानी की मैं
शिव का ताण्डव विशाल हूँ।
किलकारियाँ शावक की जैसे
मैं खोया हुआ अभिशाप हूँ
खटकता नज़र में हूँ हर किसी के
मैं यहाँ नया प्रह्लाद हूँ।
किसी का राही हूँ मैं
किसी के मंज़िल की पहचान हूँ
डूबता हर रोज़जिन यादों में
मैं उन्ही का क़ब्रगाह हूँ।
दफ़न हैं मुझ में ही विरासतें सारी
मैं ही इस शहर की थकान हूँ
फ़ुरसत हूँ मैं गाँव की
मैं ही वो नीम की छांव हूँ।
हर भागती भीड़ का शोर हूँ
मैं अपनो का प्यार और
तेरे रातों का सुकून हूँ।
मैं ही मन हूँ तेरा
तेरे अंतर्मन की आवाज़ हूँ
मैं रूह हूँ
तेरे होने की पहचान हूँ।
