मैं तुम्हारे साथ हूँ
मैं तुम्हारे साथ हूँ


मेरी तन्हाइयों में मुझे
कभी कोई नज़र नहीं आया,
मगर दूसरे जब तन्हा हुए तो
मैं उन्हें अक्सर नज़र आ जाती हूँ,
मेरी रज़ामंदी होने ना होने के बाद भी
दूसरों की तकलीफों में शामिल की जाती हूँ।
यूँ तो ज़िन्दगी में "मैं तुम्हारे साथ हूँ"
कहने वाले बहुत से दोस्त है मेरे पास,
और फिर जब ज़रूरत पड़ने
अगर याद कर लूँ
तो इनको मैं बेईमान सी नज़र आती हूँ।
अगर मैं रहती हूँ तुम सब से दूर
तो रहने दो ना मुझे,
मैं तुम्हारी तरह यूँ कुछ वक़्त के लिए
किसी के साथ तो नहीं रहती हूँ।
पहले रुलाना और फिर मनाना हो
तो मत करो मुझसे कुछ
पलों के लिए बात,
नहीं तो फिर मेरे चुप होने पर कहोगे सबसे
कि मैं अक्सर तुम्हारा दिल दुखा जाती हूँ।