मैं नारी हूँ
मैं नारी हूँ


वो आग है
वो पानी भी
वो बर्फ है
चिंगारी भी
कोई और नहीं
वो नारी है
स्वाभिमानी सी
मैं नारी हूँ
चलना मेंरा काम
राह में आए
चाहे मुुश्किलें हज़ार
उनको करके पार
पाना है ऊँचा मुुकाम
दर्द मुझे भी होता है
दिल मेरा भी रोता है
जब अपनो की खातिर
देती हूं कुर्बानी
अपने सपनों की
एक पल ठहर जाती हूँ
अगले ही पल चल पढ़ती हूं
मंज़िल को पाने के लिए
खुद में खुद का
विश्वास जगाने के लिए।