अनकहे रिश्ते
अनकहे रिश्ते
हाँ अजनबी हो तुम
मगर अनगिनत यादों के साथ
तुम्हारे साथ बिताई हर
मीठी बातों के साथ
आज भी याद है मुझे
भरी महफ़िल में तुम्हारा साथ
वो साथ जो कभी ना
छूटने वाला था
हमारी बनायी कसमो का साथ
जाने अनजाने बनाई
अनूठी रस्मों का साथ
आज अनजान है हम
रास्ते की अनजान मंजिल की तरह
तुम बढ़ गए हो ज़िन्दगी में
अपनी खुशी के साथ
मैं खुश हूं तुम्हारी यादों के साथ
हाँ आज हम अजनबी है
मगर तुम्हारी अनगिनत यादों के साथ
तुम्हारे साथ बिताई हर
मीठी बातों के साथ।

