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Kapil Gaur Sahayak

Inspirational

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Kapil Gaur Sahayak

Inspirational

मैं लौट कर आऊंगा

मैं लौट कर आऊंगा

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आज गुमनाम हूँ मैं

बुरे वक्त के इस साये में

मैं लौटूंगा फिर लौटूंगा

वक्त ही ने सिखाया है आना और जाना

फिर क्यों कहूँ की वक्त मेरा खराब है,

मैं भी आऊंगा उसकी तरह

किसी पल अचानक से इस तरह

की वक्त खुद कहेगा 

बन्दे तू मुझसे भी ज्यादा खराब है।


मैं खुद वक्त बनूंगा

और उस वक्त को 

बुरा वक्त बनकर मरूँगा,

हो चाहे आज कुछ भी

लेकिन अभी हार नही मानूंगा।


ये हताश हुई जिंदगी

मुझको भी अच्छी नही लगती है,

निकला हुआ पेट देखकर

सफेद हुए बालों को देखकर,

साँस मेरी भी नही निकलती है,

पेट भी अंदर होगा

बाल भी काले पड़ेंगे,

देखना तुम बस एक दिन 

इस हताश जिंदगी को 

खुद छिपने के लाले पड़ेंगे।


चंद रुपयों के लिए,

अनजान शहर , रातों का पहर,

नापसन्द सा खाना

आंसुओं की लहर

ये कब तक मुझको रुलायेगी,

देखना मैं एक दिन शौक से फिर वही खाऊंगा,

जो मेरी माँ मेरे लिए बनाएगी।


बहुत दूर इस 4×4 के कमरे में 

सब कुछ छोड़कर आया हूँ ,

देखता हूँ ये दीवारें कब तक लड़ेंगी,

मैं लौटूंगा, फिर लौटूंगा 

पूरे विश्व में वर्चस्व के हेतु 

देखना तब यही दीवारें,

मेरी चारों दिशाओं को मार्ग प्रशस्त करेंगी ।



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