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Sara Garg

Tragedy

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Sara Garg

Tragedy

मैं इक औरत हूँ

मैं इक औरत हूँ

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मैं इक औरत हूं,

खतरों से घिरी हूं।

घर हो या बाहर,

हर जगह मर्द बैठे है

इंतजार में।


पाँच साल की बच्ची हो या

अस्सी साल की बुढ़िया

मर्द कर रहे है सबका शिकार,

कहीं मार रहे हैं सीटी

तो कही कर रहे हैं बलात्कार।


हाँ मैं इक औरत हूं,

खतरों से घिरी हूं।


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