नारी का प्रेम
नारी का प्रेम
नारी के प्रेम को
देवता नहीं जान पाए,
इंसान क्या समझे
उनके प्यार प्रीत को।
अपने प्यार के लिए
जंगलों में गई,
लोगों के ताने सुने,
और जब अपने प्यार का
अपमान देखा
तो लोगों को श्राप देकर
अग्नि में कूद गई।
जब नारी के प्रेम को
देवता ही नहीं जान पाए,
इंसान क्या समझे
उनके प्यार प्रीत को।।