मैं हूँ हिंदी
मैं हूँ हिंदी
तेरी संस्कृति की मैं ही तो पहचान हूँ
मैं हूँ हिंदी ऐ भारत तेरी शान हूँ।
मैं हूँ संस्कृतजा शुभ देववाणी हूँ मैं
मैं हूँ गौरव तेरी स्वाभिमानी हूँ मैं।
हिंद तेरी मैं यशकीर्ति और विज्ञान हूँ
मैं हूँ हिंदी ऐ भारत तेरी शान हूँ।
मैं हूँ सुविचारों का तेरे सरलीकरण
मन के भावों का तेरे हूँ वर्गीकरण।
मेरे भारत मैं तेरी सुर अरु तान हूँ
मैं हूँ हिंदी ऐ भारत तेरी शान हूँ।
मन तरंगों की सुमधुर अभिव्यक्ति हूँ मैं
मेरे भारत तेरी अनुपम शक्ति हूँ मैं।
शुभ विचारों के सुसागर का जलयान हूँ
मैं हूँ हिंदी ऐ भारत तेरी शान हूँ।
माँ की लोरी हूँ मधुरिम कहानी हूँ मैं
ध्यान, सत्संग तेरी जिंदगानी हूँ मैं।
अरु मैं सागर से गहरी तेरी ज्ञान हूँ
मैं हूँ हिंदी ऐ भारत तेरी शान हूँ।
भारती के शुभ ललाट की बिंदी हूँ मैं
मातृभाषा हूँ तेरी हाँ हिंदी हूँ मैं।
फिर क्यों अपने ही घर में, मैं गुमनाम हूँ ?
मैं हूँ हिंदी ऐ भारत तेरी शान हूँ।