माँ वीणापाणि वंदना
माँ वीणापाणि वंदना


ज्ञान की हे जगत माता
दे अनूठा ज्ञान मुझको
शील, संयम, दया, करुणा
और दे स्वाभिमान मुझको।
इस जगत में हर समय ही
मात तेरा गुण मैं गाऊँ
दीन-दुखियों, निर्बलों का
एक सहारा बन मैं जाऊँ।
विमलसुता हे विमलदायिनी
दे अमिट सुर-तान मुझको
शील, संयम, दया, करुणा
और दे स्वाभिमान मुझको।
लव-कुश, ध्रुव, प्रह्लाद सम
बन जाऊँ माता शारदे
पुत्र मैं तेरा हूँ माता
अज्ञानता से तार दे।
करके कृपा हे माँ बना दे
नेकदिल इंसान मुझको
शील, संयम, दया, करुणा
और दे स्वाभिमान मुझको।
हर घर में हों जानकी
अनुसूइया, सावित्री यहाँ
वीरांगना हो लक्ष्मीबाई
और पद्मा सम यहाँ।
चन्द्रवदना, महाश्वेता
दे अभय का दान मुझको
शील, संयम, दया, करुणा
और दे स्वाभिमान मुझको।
कर्त्तव्य पथ पर हर घड़ी
हे मातु मैं चलता रहूँ
स्वर्ण सम बन जाऊँ तप के
सत्य में जलता रहूँ।
सुरवन्दिता, हे विद्यारूपा
दे अमिय वरदान मुझको
शील, संयम, दया, करुणा
और दे स्वाभिमान मुझको।
विश्वगुरु भारत बनाऊँ
ऐसी शक्ति दे मुझे
मातृ-पितृ और गुरुजनों की
अनुपम भक्ति दे मुझे।
मात विमला, वाग्देवी
दे प्रणय का दान मुझको
शील, संयम, दया, करुणा
और दे स्वाभिमान मुझको।