STORYMIRROR

JAY PANDEY

Inspirational

3  

JAY PANDEY

Inspirational

नीति के दोहे

नीति के दोहे

1 min
786


       


लेखन ऐसा कीजिए, दे समाज को सीख।

पाठक पढ़कर लेख को, बन जाये निर्भीक।।


लक्ष्य दृष्टिगत हो सदा, कर्म करो दिन-रात।

मन में हो विश्वास दृढ़, होगा नया प्रभात।।


खुद को तू पहचान कर, साध लक्ष्य पर तीर।

शर भेदेगा लक्ष्य को, मत हो तनिक अधीर।।


प्रेम भावना मन बसे, तो सब दिखते मीत।

प्रेमी मन के अस्त्र से, रे मानव जग जीत।।


हे मानव निज समय को, क्यों करता है व्यर्थ।

स्वर्णिम पल यदि खो गया, होगा बहुत अनर्थ।।


उठकर ब्रह्ममुहूर्त में, और करे नित ध्यान।

सात्विक भोजन हो सदा, स्वस्थ वही इंसान।।


मानव तो अंधा हुआ, करता है अभिमान

गीत प्रणय का भूलकर, बन बैठा नादान।।


करते हैं गुणगान सब,देख दिखावा ज्ञान।

जो है सच का सारथी, सच में वही महान।।


कथनी, करनी एक हो, तो बन जाये बात।

भाव सदा मंगल रहे, मंगल हो दिन-रात।।


कुछ ज्ञानी ऐसे यहाँ, बिन माँगे दें ज्ञान।

रहें सदा अभिमान में, खुद को कहें महान।।


ज्ञानी, उसके ज्ञान की, करो सदा सम्मान।

यदि वह ज्ञानी हो सही, और सही हो ज्ञान।।


        


              

         



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational