मैं एक नारी हूँ
मैं एक नारी हूँ


मैं एक नारी हूँ, हाँ मैं नारी हूँ
मैं ही जगत की अवतारी हूँ
मैं अनेक रूप धारी हूँ।
मैं ही माँ, मैं ही बहन,
मैं ही बेटी बन जाती ससुरारी हूँ।
मैं ही भैया की कलाई को सजाती,
बनती रक्षा, प्रेम पुजारी हूँ।
मैं ही माता- पिता की राजदुलारी हूँ ।
मैं सास-ससुर की वंश बढाने वाली,
पति के जीवन बगिया की फुलवारी हूँ।
बेटों को जनने वाली महतारी हूँ।
मैं नारी हूँ, हाँ मैं एक नारी हूँ।।
मैं मन बहलाने वाली जीजा की सारी हूँ
गृहणी बन कुटुंब चलाती नारी हूँ
कभी न हारने वाली नारी हूँ
मैं ही दुर्गा, मैं ही चंडी
मैं ही शारदा छविधारी हूँ।
मैं ही लक्ष्मीबाई, अहिल्याबाई
पद्मा राज कुमारी हूँ।
rgb(255, 255, 255);">मैं ही सीता, मैं ही सावित्री
मैं ही राधा प्यारी हूँ।
मैं ही देवकी, मैं ही यशोदा आँख में पट्टी बंधी गंधारी हूँ।
मैं ही शबरी, मैं ही मीरा
मैं ही द्रोपदी लाचारी हूँ।
मैं कुसुम हूँ, मैं हूँ काटा
मैं ही पुरुष के आधे की अधिकारी हूँ।
सुख-दुःख सब सहने वाली
प्रसव वेदना सहने वाली,
दुष्टों के दुष्टदृष्टि से दहने वाली,
अत्याचार पुरुष का सहने वाली,
बसुधा सी धैर्यधारी हूँ।
हाँ मैं एक नारी हूँ।।
किन्तु नहीं अनजान कभी मैं,
बेबशी की सहती मार कभी मैं.
हूँ पुरुष बिना अधूरी मैं,
मुझ बिन पुरुष अधूरा है,
पुरुष की सहगामी नारी हूँ।
मैं नारी हूँ, जीवन की अधिकारी हूँ ।
पुरुष मुझे है प्यारा, मैं भी उसको प्यारी हूँ।।