मैं बूढ़ी होनें लगी हूँ
मैं बूढ़ी होनें लगी हूँ
खुद को भीगने में बारिश से अब मैं बचाने लगी हूँ
सच ही तो कहा तुमने मैं बूढ़ी होनें लगी हूँ
अपनी इच्छाओं और सपनों को खुद में ही छुपाने लगी हूँ
इज़्ज़त बचाने की जद्दोजहद में प्यार जताने लगी हूँ
बन्द पड़े कोने वाले कमरे में तन्हा मुस्कुराने लगी हूँ
पुराने एलबम पर लरजते हाथ फैरने लगी हूँ
अपने ही घर में अजनबी एक मेहमान बनने लगी हूँ
धुंधली होती ज़िन्दगानी का हर पल जीने लगी हूँ
माफ़ी तलाफी की रिवायत का महत्व समझने लगी हूँ
सच ही तो कहा तुमने मैं बूढ़ी होनें लगी हूँ ।