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Sanjay Ronghe

Action Classics Inspirational

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Sanjay Ronghe

Action Classics Inspirational

मैं भी हूँ वहीं

मैं भी हूँ वहीं

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मिलना मैं चाहूँ तुझसे

पर कैसे कहूँ।

अंजानी यह दोस्ती

मैं कैसे कहूँ।


चाहत दिल में इतनी

तूही बता कैसे रहू।

यादें भी अब रुकती नहीं

बता कैसे रहूँ।


आखे धुंडती तुझे सदा

मैं क्या कैसे सहू।

बेचैन है यह दिल

मैं कैसे कैसे सहूँ।

आ लौट के तू आ

मैं तो वही हूँ।


चाहत भी मेरी है वही

मैं भी वही हूँ।


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