माँ
माँ
"माँ"
न खूबसूरत नशीली आँखें है तुम्हारी,
न लहराती जुल्फे है तुमने पायी,
न शरबती होंठों की रंगत है गुलाबी,
फिर भी
तुम इतनी सुंदर कैसै हो ?
दया, प्रेम,करूणा से भरी तुम्हारी आँखे,
मीठे स्नेह भरे शब्द टपकाते ये होंठ,
प्यार बरसाती ये हसीन जुल्फे,
शायद इसीलिए,
हाँ, शायद इसीलिए
माँ ,तुम सबसे सुन्दर हो ...
न गोरी नाजुक बाँहे तुम्हारी,
न कमर बलखाती है,तुम्हारी ,
न सौंदर्य अदभुत आभा लिए हुए है,
फिर भी,
तुम इतनी सुंदर कैसै हो ?
वात्सलय से भरी तुम्हारी बाँहे,
ममता लुटाता तुम्हारा आचँल,
प्यार बरसाता तुम्हारा दिव्य चेहरा,
शायद इसीलिए,
हाँ, शायद इसीलिए
माँ ,तुम सबसे सुन्दर हो.