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sunanda aswal

Inspirational

4.0  

sunanda aswal

Inspirational

मां के स्पर्श से - रंग हरा

मां के स्पर्श से - रंग हरा

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मां के स्पर्श कर, पाषाण कभी प्रसून बना,

उभर आई आकृति प्रसून कभी पाषाण बना ..!!

धन्य हरा रंग प्रकृति छवि हुई पुष्पित,

तिलस्म बिखेर, भूषण अलंकृत..!!

चिर यौवन हुआ मंदार वृक्ष,

सींचा पाषाण को अपने स्नेह दक्ष ..!!

भेंट किया प्रेम-वियोगी को,

हरी मिला, ज्यों हरि को...!!

सुंदर पुष्प भूला प्रेम वीथिका अपनी,

गंतव्य द्वार प्रेम पुनः जिजीविषा बनी.!!

दीया संग माटी का उद्धार हुआ,

लौ जला हरि की, तमस हांस हुआ ..।

राख बन जाता यदि तृष्णा में जलता,

शरण प्रभु के रहा बना उजाला ..।

चुना मार्ग दुर्गम, हृदय प्रकाश से भरा,

धीरे - धीरे अंधेरे अमावस से जा लड़ा ..।



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