माँ के खुऱदरे हाथों की छुअन
माँ के खुऱदरे हाथों की छुअन
इस जीवन के कठिन डगर पे निर्बाध निरंतर ,
हम कभी कभी गिरकर संभलकर चलते रहे !
माँ के खुरदरे हाथों की छुअन से गढ़कर ,
अपने आप ही सुन्दर स्वरुप में ढलते रहे !
अब देखो, काँपने लगी हैँ माँ की उँगलियाँ
पिता पर भी वृद्धावस्था ने असर दिखाया है!
माँ की ममता,पिता का स्नेह हममें समाया है ,
अब तो अपना फर्ज़ निभाने का वक़्त आया है !