माँ का हाथ है साथ
माँ का हाथ है साथ
माँ आज नहीं है मेरे पास तो क्या हुआ,
पाया उसका हाथ जब भी सर को छुआ।
इसे पहचानता है मेरा हाथ भली-भाँती,
इससे ही वह मेरे रूठे बचपन को मनाती।
इससे ही मेरे आँसुओं को झट रोक पाती,
शरारत करने पर गालों पर चपत लगाती।
इठलाता था मैं जब वह प्यार से सहलाती,
इससे वह मेरी चोट को ठीक कर पाती।
बस यही प्रार्थना है ईश्वर से इतना करना
यह हाथ सदैव सर पर बनाये हुए रखना।
