लम्हा
लम्हा
तन्हा तन्हा हो जाता है
हर एक वो लम्हा
जिसके होने से लगता है
होना है हमारा होना
लम्हा देता है रोना
जिसे होता है जाना
करते है दुवा हुआ कभी
उसका आना तो जरूर मिलने आना !
कुछ के लिए बुरा
कुछ के लिए अच्छा
वह लम्हा ही होता है
जिसे रोकना नही होता काम सबका !
अच्छा लम्हा,
बार बार नही मिलता
और बार बार अनचाहा
लम्हा नही जाता
लम्हा भी हो जाए तन्हा
ईतना पास तुम रहना
क्या पता कल किसी के बिना
तुम्हे पड न जाए रोना !