कयामत पास ले आई
कयामत पास ले आई
दम घुटता था दुनिया में,
अब जाके सांसों में साँस आई,
अर्सो से दूर था अपनों से,
कयामत पास ले आई
फर्ज़ के बोझ ने बर्बाद कर दिया,
अपनों की मोहब्बत ने
आबाद कर दिया,
गलीज़ हुई थी रूह मेरी जो
वजू कर आई,
खुद से बिछड़ गया था में,
कयामत पास ले आई
गैरों का दिल बहलाना,
बहला के चले जाना,
मुसलसल ये करके इन्हें
नींद कहाँ आई,
फासलों पे था ख़ुशियों से,
कयामत पास ले आई
कुछ वक्त ही सही में अपनों के
साथ तो हूँ,
इससे बड़ी क्या है खुदाई,
दूर रहना वाजिब नहीं अपनों से,
लो कयामत पास ले आई
