राजनीति
राजनीति
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अजीब सा ये रंग है,
हर नेता इसमें मलंग है,
ना चाही ये वो अनहोनी है,
जहा कुछ नेता शकुनि है
ना आराम ना विराम है,
बस सत्ता का संग्राम है
बस जनता को बहलाना है,
जब चुनाव सामने आना है
जनता भूकी हर घर में अंघेर है,
जनता को लूट ये बन बैठे कुबेर है
झूठे वादे करके सबको
इन्होंने बहकाया है,
हर बार इस जनता को
बस भरोसा करना आया है
सोने की चिड़िया था देश
ये सबको हमने बताया है,
लूट लिया इस देश को
यारो ये राजनीत का साया है।
