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Ganesh Sharma

Others

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Ganesh Sharma

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"मर्दानी"

"मर्दानी"

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इज्जत करलो इसकी तो ये जन्नत बड़ी सुहानी है,बे इज्जती नहीं सहेगी क्यों कि ये मर्दानी है।


भगवान भी कांपता था जब बनती थी माँ काली ये,दानवो को चीर दिया शक्ति है बलशाली ये।


एक वक्त पर माँ बेटी बहन कितने किरदार निभाती है,फिर क्यों पवित्रता सिद्ध करने आग में जल जाती है।


जो सांस ले रहे हो भीख में ये उसके कोक की मेहरबानी है,अब भी इज्जत करलो ये जन्नत बड़ी सुहानी है।


सोता हूं मैं अब भी पर उस आँचल सी नींद कहा आनी है,और पता है ना जाऊं घर जल्दी तो नींद उसकी उड़ जानी है।


खाए उसका मुन्ना इसलिए भूखी वो सो जाती है,खुश नसीब है वो जिनके नसीब में माँ,बेटी,बहन आती है।


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