क्या करूँ मैं लड़का जो हूँ !
क्या करूँ मैं लड़का जो हूँ !
हर बार अपना गम छुपा लेता हूं...
हर बात पर मैं खुद को मना लेता हूं..
नाराजगी होते हुए भी...
चेहरे पर मुस्कान लाता हूँ ...
हारकर भी अपने माँ बाप के
सपनों के लिए लड़ता हूँ ...
आंसू तो मेरे भी आते है निकल..
पर उन्हें मैं मुंह पर पानी मारकर
छुपा लेता हूं....
लाख मुसीबत आने पर भी
अपने आप को संभाल लेता हूं..
क्या करूँ मैं लड़का जो हूँ ...
