क्या होता है माँ का होना
क्या होता है माँ का होना
मेरे दुनिया में आने से भी पहले
नौ महीने तक एक पीठ करके सोना
मेरी नन्हीं कदमों की आहट से ही
खुशी से हर वक़्त खूब मुस्कुराना।
वो आएगा या आएगी के अहसास भर से ही
आँखों में रात जगाए हज़ारों ख्वाब देखना
नसें फटती हुई पीड़ा के समंदर में भी
शांत और शीतक कमल सी खिलते रहना।
यही होता है माँ का होना
मेरा पहला स्पर्श पाकर
एक साथ ही हँसना-रोना
मुझको गोद में भरकर।
एक टक से ताकते रहना
मेरा लाल है सबसे सुन्दर
जाने अनजाने से कहते रहना
मुझे आँचल में छिपाकर।
निर्मल गंगा सी बहते रहना
यही होता है माँ का होना
मेरी एक बोली सुनने के लिए
घंटों-घंटों आप से ही बोलते रहना।
मैं प्यारा हूँ मैं दुलारा हूँ
हज़ार दफे दोहराते रहना
मेरे हँसने के लिए
रोज़ नए करताबें दिखाना।
जो रो पड़ूँ में तो
हर तरह से मुझे मनाना
यही होता है माँ का होना
हो जाऊँ जो आँख से ओझल तो।
यशोदा की तरह व्याकुल होना
मेरी राह देखने के लिए
कुंती सी अधीरा होना
चला जाऊँ न दूर कहीं।
कौशल्या स्वरूपा होना
अकेले ही सँभालने के लिए
सीता जैसी शलया होना
यही होता है माँ का होना।
सब ईश्वर को एक साथ नमन
रोज़ सुबह है माँ को देखना
हो जाएँ हर मुश्किल आसान
विपत्ति में गर माँ को सोचना।
हर मंज़िल कदमों में आ जाएगी
हर जीत में बस माँ को खोजना
कहीं रहो आ ही जाती है
एक बार माँ पुकार के देखना
यही होता है माँ का होना।