कविता
कविता
मैं एक नारी हूं
हां मैं एक नारी हूं
लड़के और लड़कियों में फर्क करने वालों
चलो आज नारी क्या है तुम्हें मैं बताती हूं
नारी की अस्मिता को ठेस पहुंचाने वालों
चलो आज नारी की असली ताकत तुम्हें बताती हूं
ओ पीछड़ी सोच वालों
चलो आज तुम्हें मैं नारी की अहमियत बताती हूं
लड़की, औरत, नारी ये शब्द अलग-अलग हैं
पर मतलब तो एक है
तुम मां दुर्गा की आराधना तो करते हो
तुम उन्हें शक्ति का प्रतीक मानते हो
अच्छा तो तुम मुझे इतना बताओ क्या वो नारी नहीं
तुम मां सरस्वती की आराधना तो करते हो
तुम उन्हें विद्या का प्रतीक मानते हो
अच्छा तो तुम मुझे इतना बताओ क्या वो नारी नहीं
तुम मां लक्ष्मी की आराधना तो करते हो
तुम उन्हें समृद्धि का प्रतीक मानते हो
अच्छा तो तुम मुझे इतना बताओ क्या वो नारी नहीं
नारी का अपमान हो तुम करते
क्या यही अभिमान तुम्हारा है
जिस मां ने नौ महीने अपने गर्भ में रख तुम्हें जन्म दिया
करते हो उसी मां का अपमान
क्या यही संस्कार तुम्हारा है
कहते हो नारी तो अबला है
बस सहने को उसने जन्मा है
कैसे मैं ये मान लूं नारी अबला है
कैसे मैं ये मान लूं बस उसने सहने के लिए जन्मा है
याद करो लक्ष्मी बाई, बेगम हज़रत महल,
सरोजनी नायडू, विजया लक्ष्मी पण्डित और उषा मेहता को
जिन्होंने ही तो इस देश को आजाद कराने का बीड़ा उठाया था
कहते हो नारी कमजोर होती है
नारी कुछ नहीं कर सकती है
कैसे मैं ये मान लूं नारी कमजोर होती है
कैसे मैं ये मान लूं नारी कुछ नहीं कर सकती है
याद करो कल्पना चावला, मैरी कॉम,
पी.वी सिंधु, मिताली राज को
इन्होंने ही तो पूरे देश का सर सारे विश्व में ऊँचा उठाया है
कहते हो तुम नारी रक्षा नहीं कर सकती
नारी हार का दूसरा नाम है
कैसे मैं ये मान लूं नारी रक्षा नहीं कर सकती
कैसे मैं ये मान लूं नारी हार का दूसरा नाम है
याद करो अंजना भदौरिया, माधुरी कानितकर,
गुंजन सक्सेना, पुनीता अरोड़ा, सीमा राव को
जिन्होंने हर बार देश की रक्षा कर
इस देश को दुश्मनों से बचाया है
अगर ये भी खुद को मान लेती अबला
तो इस देश में मान सम्मान बन कर रह जाता ढकोसला
अगर ये ना होती तो देश का सर फिर झुक जाता
शर्म करो नारी का अपमान करने वालों
शर्म करो नारी को अबला कहने वालों
शर्म करो नारी को कमजोर कहने वालों
शर्म करो अब बस तुम शर्म करो