कवि कविता क्यों लिखते हैं
कवि कविता क्यों लिखते हैं
कवि कविता क्यों लिखते हैं
दिन-रात की बात क्यों सिखाते हैं
क्यों रोते हैं, क्यों हंसाते हैं
फिर भी लिखने से बाज नहीं आते हैं
कविता लिखना अथवा पढ़ना
सबको क्यों नहीं भाता है
जीवन तो सबको यही सिखाती है
बुरी चीज लोग जल्दी क्यों अपनाते हैं
अच्छाई की तारीफ क्यों नहीं कर पाते हैं
जीवन का राग सुनाते हैं
और क्यों नहीं अच्छी बातें बतलाते हैं
क्या लिखूं मैं और कविता में
समझ में ना मुझे कुछ आता है
लोगों को मैं कभी ना भाता हूं
और कविता लिख कर पछताता हूं।
