कुछ एहसास कुछ अल्फ़ाज़
कुछ एहसास कुछ अल्फ़ाज़
जीत हो तुम्हारी सीमा पर लड़ाई की ,
साथ है दुआएं शामिल अब तो सदा मेरी भी,
छूटी भी नही थी अभी,मेहंदी हथेली की,
माना आज ही अभी विवाह हुआ मेरा है,
मगर देश तुझको पुकारे,जा कर्तव्य तेरा है,
जाओ तुम सैनिक जाओ है साथ दुआ,मेरी भी
छूटी भी नही थी, अभी मेहंदी हथेली की,
मेहंदी का रंग देखो आज भी ये लाल है,
कह रहे शहीद हुआ,देश का इक लाल है
मेहंदी का रंग लाल,फौजी का रक्त लाल
याद करेगी दुनिया,सैनिकों का ये बलिदान
धन्य ये सैनिक की पत्नी,धन्य ये परिवार है
तिरंगे में लिपटा देखा,शहीदों को आज है।
सरहद पर भेज देना,बिल्कुल ना आसान था,
माँ ने अपना लाल खोया,जो पिता का अभिमान था,
बहनों ने खो दिया,राखी की कलाई को,
सुहागन ने सह लिया,साजन से जुदाई को,
वीरवधू कहलाऊंगी, इसका भी गुमान हैं,
देश मे अमर रहेगा,तुम्हारा बलिदान ये,
सोचती हूँ सैनिक होना,बिल्कुल ना आसान है,
हर दिन देश पर ही होता कुर्बान है,
कहते थे तुम एक बात ,वही याद आती है
मौत तो नियति हैं, सबको ही आनी है।
आम आदमी की मृत्यु मौत ही कहलाती है,
मगर सैनिकों की मृत्यु शहादत बन जाती है।
शहीदों का नाम मिलना गर्व की ही बात है।
वीरता पर तुम्हे समर्पित देश का सलाम है।
जीत हो सदा ,सीमा पर लड़ाई की,
देश का भला हो सदा, हैं यही चाह मेरी भी ,
छूटी भी नही थी अभी मेहंदी हथेली की।