क़तरा क़तरा
क़तरा क़तरा
तिनके सी यह जिंदगी,
रोज़ थोडा थोडा मरते है़।
ए मौत तेरे इंतजा़र में,
हम क़तरा क़तरा जीते हैं।
कुछ ग़म छुपाए रखे हैं
कुछ राज़ दबाए रखे हैं
इस दिल की हर धड़कन को
हम श्मशान बनाए रखे हैं
उम्मीदों के बाग में,
हर फूल खिलाए रखे हैं
दफन किए हर सपने,
हर जख्म़ मिटाए रखें हैं
हर लम्हा हर घड़ी
हम ख्वाब सजाए रखे हैं
तुझसे मिलने की तड़प में,
हम आस लगाए रखे हैं।
उन सपनों के कुछ टुकड़ों का,
हम महल बनाए रखे हैं
इन आंखों में हम अश्कों,
का सैलाब छुपाए रखे हैं
तिनके सी यह जिंदगी
रोज थोड़ा थोड़ा मरते हैं।
ए मौत तेरे इंतजार में,
हम क़तरा क़तरा जीते हैं।